खून से लथपथ करुणा धीरे - धीरे रती के नजदीक आती है । खून से लथपथ करुणा धीरे - धीरे रती के नजदीक आती है ।
ज़िन्दगी के हर इक पल मे निहितार्थ अपनी गतिविधियों को गतिशील करूँ। ज़िन्दगी के हर इक पल मे निहितार्थ अपनी गतिविधियों को गतिशील करूँ।
जिस दोस्त के बारे डॉ सीमा ने कहा था वो दोस्त नहीं वो स्वयं थी। जिस दोस्त के बारे डॉ सीमा ने कहा था वो दोस्त नहीं वो स्वयं थी।
राम ने आदर्श, औदार्य और प्रबल पुरुषार्थ से सिद्ध किया कि वह असाधारण हैं। राम ने आदर्श, औदार्य और प्रबल पुरुषार्थ से सिद्ध किया कि वह असाधारण हैं।
लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास। लेखक : अलेक्सान्द्र कूप्रिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास।
जो पतंग उड़ा रहा होता है वो आपका अपना आत्मविश्वास होता है, जो पतंग उड़ा रहा होता है वो आपका अपना आत्मविश्वास होता है,